जानिए वनीला की खेती कैसे करे से जुडी हुई पूरी जानकारी

वनीला की खेती से संबंधित बेसिक जानकारी -नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से वनीला की खेती कैसे करें और से होने वाले लाभ कमाई और उत्पादन में वृद्धि आदि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करने वाले हैं, अगर आप वनीला की खेती करने जाते हैं ,तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद ही खास और जरूरी साबित होने वाला है। इस पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यान पूर्वक जरुर पढ़े।

वनीला की खेती बेलो के पौधे के रूप में की जाती है। इन बैलों से निकलने वाले फलों का आकार कैप्सूल की तरह होता है, और सूखे फलों से अधिक खुशबू आती है। वनीला फल का उपयोग 40% तक विश्व में बनाने वाली आइसक्रीम में किया जाता है। आइसक्रीम के अलावा वनीला का इस्तेमाल केक कोल्ड ड्रिंक्स अन्य प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स और परफ्यूम जैसी चीजों के बनाने में किया जाता हैं। वनीला की बाजार में मांग होने के चलते इसकी कीमत अच्छी होती है।

वनीला की अधिक मांग होने के कारण इसे अन्य देशों में निर्यात करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं यदि आप भी वनीला की खेती करना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत खास हो जरूर साबित हो सकती है।

इस पोस्ट में आपको वनीला की खेती से संबंधित सारी जानकारी डिटेल में बताने वाले हैं आप इस पोस्ट को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें।

वनीला की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी


वनीला की खेती के लिए जैविक पदार्थों से युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है, जय पदार्थों से युक्त पर बुरी मिट्टी में इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं। खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना आवश्यक होता है। मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके वनीला की खेती उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं।

वनीला से होने वाले लाभ

  • वनीला की बींस में एक वनेलिन सक्रिय तत्व मौजूद होते हैं जो मानव शरीर में बन रहे कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करते हैं और गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते है।
  • वनीला में एंटी ऑक्सीडेंट के गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो सेल्स को मजबूती प्रदान करते हैं और कैंसर से लड़ने की क्षमता रखते हैं।
  • वनीला में एंटीबैक्टीरियल बोर्ड भी पाए जाते हैं और इनका सेवन नियमित रूप से करने से पेट साफ होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर में होने वाली बीमारियों को दूर भगाता है।

वनीला की फसल का उत्पादन

भारत में किसानों द्वारा वनीला की खेती लघु और सीमांत फसलों के साथ वर्तमान समय में कर रहे हैं।
वनीला कंपनी के अनुसार वनीला के खेती में आने वाली कमी और इस करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण या वजह सिंथेटिक वनीला का प्राकृतिक बन्ना का स्थान ले लेना है। सिंथेटिक वनीला प्राकृतिक वनीला की तुलना में अधिक सस्ता होता है। जिस वजह से प्राकृतिक वनीला को अच्छा दाम नहीं मिल पाता है और किसान इस चीज के कारण नुकसान भुगत रहे हैं। प्राकृतिक वनीला के मूल्य इसकी कीमत ₹20000 प्रति किलो तक पाई जाती है वही सिंथेटिक वनीला ₹100 किलो मिल जाता है। इस बड़े वजह और कारण के चलते प्राकृतिक वनीला की खेती पर प्रभाव पड़ता जा रहा है और किसान इसकी खेती करना बंद कर रहे हैं।

वनीला की खेती के लिए खेत की तैयारियां


किसी तरह की फसल का उत्पादन प्राप्त करने के लिए या फसल की बुवाई से पहले खेतों को तैयार करने की आवश्यकता होती है। खेतों में समान दूरी पर गड्ढे तैयार किए जाते हैं और उन गड्ढों में गोबर खाद और उर्वरक की मात्रा उचित रूप से डाली जाती है। वनीला की लताओ को फैलाने के लिए कड़े सुरक्षा कदम उठाए जाते हैं।

वनीला के फसल के बीजों की बुवाई

वनीला के बीजों की बुवाई 2 तरह से की जाती है। पहला कटिंग के रूप में और दूसरा बीज के रूप में। बीज के रूप में बुवाई बहुत ही कम लोग करते हैं, क्योंकि वनीला का बीज बहुत ही छोटा होता है जिसे उसने में या अंकुरित होने में अधिक समय लगता है। लताओं या बेल के रूप में इसकी बुवाई कर सकते हैं हालांकि बेल पूर्ण रूप से स्वस्थ होनी चाहिए।

वनीला का बीज


वनीला आर्केड परिवार का सदस्य या बीज होता है। इसमें से निकलने वाले पौधे का तना लंबा और बेलन के आकार जैसा होता है। इस पौधे से फल और फूल दोनों ही प्राप्त होते हैं, इसका फल कैप्सूल के आकार जैसा होता है। सूखे हुए फूल आदि सुगंधित होते हैं। इसके फल से अधिक मात्रा में बीज मिल जाते हैं।

वनीला के बीजों की कीमत और उत्पादन

वनीला की फसल को तैयार होने में 10 महीने तक का समय लगता है। इसके बाद पौधों से बीज को निकाल सकते है। इन बीजों का प्रसंस्करण कर खाद्य पदार्थों के निर्माण के लिए उपयोग में किया जाता है। भारत में वनीला के बीजों की कीमत 40000 से 50000 के आसपास प्रति किलो पर मिल जाते हैं। वनीला की खेती किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है।

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