रसभरी की खेती कैसे करें?

रसभरी फसल की खेती-आज के इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए भारतीय कृषि उपज फलों से संबंधित ‘ रसभरी फसल की खेती कैसे करें’ के बारे में विस्तार से जानेंगे। आप इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।

जैसा की आपको पता है कि भारत,कृषि पर निर्भर देश है और यहाँ सदियों से खेती की जा रही है और लगभग सभी प्रकार की खेती भारत मे की जाती है और उनकी ऊपज भी बहुत अच्छी मात्रा में होती है। जैसे -जैसे भारत विकास कर रहा है वैसे -वैसे भारत में कृषि से संबंधित साधन, टेक्निकल, और फसलों में अच्छी गुणवत्ता व आधुनिक खेती का प्रयोग होता जा रहा है।

किसान, अब बाजारों को समझता जा रहा है और market में जिस फल, या सब्जी,या अन्य उदपादक की मांग को ध्यान में रखते हुए अधिक मुनाफा देने वाली फसलों का या फलों का उत्पादन करने लग गया है जिससे उसे अच्छा मुनाफा मिले, इसी के चलते आज किसान फलों और सब्जियों की खेती पर करके अच्छा मुनाफा कमा रहा है।

रसभरी की खेती

रस से भरी एक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाने योग्य आहार है या फल है। जो प्राकृतिक रूप से ठंडा जलवायु क्षेत्र में बढ़ते हैं पालक की खेती अधिकार से जलवायु वाले इलाकों पर भी की जा सकती है। रसभरी को उगाना बहत ही मजेदार है और लगातार लोग इसको पसंद कर रहें है। रसभरी पौधारोपण के 3 साल बाद पैदा होती है।

रसभरी के पेड़ 10 से 15 साल तक फल देते हैं। रसभरी रोज परिवार और प रुबस प्रजाति की है। किसान रसभरी को बागवानी और खेती बाड़ी के रूप में पैदावार कर सकता है और अच्छा मुनाफा कमा सकता है।

रसभरी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा साबित होता है इसके निम्नलिखित लाभ है -वजन को बढ़ाने में कारगर होती है। त्वचा की झुर्रियां कम करने में सहायक होती है।

संक्रमण और दाग धब्बे के विकृति को तो अपने मदद करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मैं सहायक होती है। रसभरी का फल उच्च पोषक तत्व से भरपूर मात्रा में होता है। रसभरी का सेवन करने से त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है,आदर रसभरी के लाभ है।

रसभरी की खेती करने के लिए आवश्यक जलवायु

जब आप किसी प्रकार की खेती करते हैं तो उस खेत की मिट्टी फसल के आवश्यकतानुसार होने की जरुरी होती हैं, उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं। रसभरी का पौधा मौसम में अच्छा फलता फूलता है, सुपारी का पौधा ज्यादा छाया को सहन नहीं कर सकता, लेकिन सूर्य की रोशनी में अच्छी तरह से बढ़ोतरी करता हैं। अधिकतम रसभरी की किस्में समशीतोष्ण और ठंडी के मौसम वाले क्षेत्र अच्छी तरह विकास करते हैं।

रसभरी की खेती के लिए आवश्यक जमीन

रसभरी की फसल चिकनी मिट्टी से लेकर तलहटी मिट्टी में अच्छी पैदावार होती है। जलभराव नहीं होना चाहिए। पानी भरा होने वाली जमीन पर रसभरी की खेती नहीं करनी चाहिए क्योंकि ज्यादा पानी से रसभरी के पौधे के जड़ गलन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 तक उचित माना जाता हैं, जिससे अच्छी गुणवत्ता युक्त भारी मात्रा फसल पैदा होती है। मिट्ठी को चेक करने के बाद सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जाना चाहिए। मिट्टी में उर्वरक क्षमता की बढ़ोतरी करनी चाहिए जिसके लिए आपको मिट्टी में गोबर खाद या किसी अन्य प्रकार का वार्मिक खाद डालना चाहिए।

रसभरी की खेती करने के लिए खेत की तैयारी

पशुपति की खेती करने के लिए खेत की तैयारी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए। खेत में जैविक खाद की आपूर्ति होना आवश्यक है और मिट्टी सूखी हुई होनी चाहिए। खेत की गहराई से जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को हल्का बारिक और भुरभुरा करना चाहिए। खेत को रसभरी की फसल के अनुसार तैयार करना चाहिए किसी तरह का खरपतवार खेत में नहीं होना चाहिए।

रसभरी की खेती में पौधे उत्पत्ति और पौधारोपण

रसभरी की उत्पत्ति जड़ से अंकुरण के द्वारा होती है। इन पौधों के जड़ का विभाजन तेज धार वाले हथियार से किया जाता है। नर्सरी से आप रोगमुक्त रसभरी के पौधे में ला सकते हैं। रसभरी का पौधा जड़ समेत बिकता है। रसभरी के पौधे को खेत में समान दुरियो पर लगाना चाहिए।

रसभरी की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था

रसभरी की खेती पूरी तरह से मिट्टी के प्रकार और मौसम की स्थिति पर निर्भर होती है। सूखे और शुष्क वाले इलाकों में रसभरी को बार-बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। रसभरी को पौधों को सप्ताह में एक बार पानी अवश्य पिलाना होता है, पानी की कमी के चलते आप ड्रिप पाइप लाइन के जरिए भी सिंचाई कर सकते हैं। ड्रिप और फव्वारा सिंचाई योजनाएं स्थानीय प्रशासन की ओर से सब्सिडी या छूट के रूप में योजनाएं हैं।

रसभरी की खेती के लिए उर्वरक और खाद

रसभरी की खेती करने के लिए आपको खेतों में जैविक खाद एवं उर्वरक डालना पड़ता है। उर्वरक के इस्तेमाल के बाद छिड़काव पद्धति का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पौधों पर छिड़काव करने के बाद हल्की सी सिंचाई करनी चाहिए। मिट्टी की समय-समय पर जांच करवानी चाहिए और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने पर पोषक तत्व की कमी को पूरा करना चाहिए। फसल की पैदावार करते समय या उससे पहले खेतों में जैविक खाद या गोबर खाद डालना चाहिए जिससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

रसभरी की खेती में उगने वाले खरपतवार

जब आप किसी तरह की फसल पैदा करते हैं, तो फसल के साथ-साथ अन्य अनावश्यक के पौधे भी होते हैं। आप और अनावश्यक पौधों को समय-समय पर खेत से बाहर निकाल सकते हैं वह समय-समय पर खेत की निराई गुड़ाई करती रहनी चाहिए जिससे आपका खेत साफ दिखाई देगा और फसल में पैदावार अच्छी होगी। खरपतवार को बाहर फेंकने के लिए आप परंपरागत विधि का उपयोग कर सकते हैं या रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करके खरपतवार को मिटा सकते हैं।

रसभरी की फसल की कटाई

रसभरी का फल बहुत ही जल्दी नष्ट हो जाता है इसलिए समय पर इस फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। लगभग 7 से 65 फ़ीसदी पल की मार्केटिंग ताजे फल के रूप में की जाती है। 35 से 40 फीसदी फल की मार्केटिंग फ्रोजन फ्रूट के रूप में की जाती है।

रसभरी फसल की पैदावार

किसी भी फसल को जवाब उगाते हैं तो वह फसल का उत्पादन उसकी मिट्टी जलवायु देखरेख और निराई गुड़ाई आदि पर निर्भर होती है। रसभरी की आप अच्छी पैदा कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं। रसभरी को आप फसल के तौर पर स्थानीय मार्केट में बेच सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रसभरी का निर्यात कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि हमने आपको इस पोस्ट में रसभरी की खेती कैसे करें के बारे में जानकारी प्रदान की है हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी और आप रसभरी की खेती के बारे में स्पष्ट और सही रूप से जान गए होंगे आशा करते हैं कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे।

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