कुल्थी की खेती कैसे करें in hindi 2024

कुल्थी की खेती से संबंधित बेसिक जानकारी -नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में कुल्थी की खेती कैसे करें और संबंधित इसकी फसल में लगने वाली लागत , उत्पादन और मुनाफे आदि की जानकारी उपलब्ध करवाने वाले हैं अगर आप कुल्थी की खेती करना चाहते हैं तो आपके लिए आर्टिकल बेहद खास और जरूरी साबित होगा।

कुलथी की खेती दलहनी फसल के रूप में की जाती है। कुलथी दलहनी फसल है। भारत में इस फसल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, कुलथी का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में भी किया जा सकता है। कुल्फी की फसल दलहनी फसल होने के कारण खेत की भूमि के लिए उपयोगी मानी जाती है यह फसल भूमि की उर्वरक क्षमता को बढ़ाती है। इस फसल का उपयोग हरी खाद बनाने के लिए भी किया जाता है।

कुलथी के पौधे झाड़ीनुमा और बैलों के आकर के होते हैं। इसके पौधे का उपयोग औषधि के लिए भी किया जाता है। इसके पौधे स्वास्थ संबंधी रोग , कफ, बुखार और पथरी जैसी आदि बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है।कुल्थी के बीच का रंग भरा पीला होता है।

कुलथी की खेती खरीफ की फसल में की जाती है। कम उपजाऊ वाली मिट्टी में कुल्थी की खेती की जा सकती है। इसके पौधे सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम में विकास और वृद्धि कर लेते हैं।

कुल्थी की खेती के लिए मिट्टी

कुल्थी की खेती के लिए खेतों में जलभराव नहीं होना चाहिए। इस फसल की अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयोगी मानी जाती है। खेत की मिट्टी का पीएच मान सम्मान होना चाहिए। खेत की मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए। खेतों में जलभराव होने पर इस फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

कुलथी की खेती के लिए जलवायु तापमान

कुल्थी की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। इस फसल के पौधे सूखे के प्रति संवेदनशील और सहनशील होते हैं इसलिए इसकी खेती के लिए हल्का गर्म और सूखा मौसम उपयोगी माना जाता है। सामान्य बारिश में कुल्थी की फसल की खेती की जा सकती है।

कुलथी के बीजों को अंकुरित होने के लिए 22 से 25 डिग्री तापमान होना आवश्यक होता है। पौधे के विकास के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान पर्याप्त होता है।

कुल्थी की खेती उन्नत किस्में

जब हम किसी प्रकार की फसल की बुवाई करते हैं तो उसकी फसल की पैदावार और उत्पादन में वृद्धि ,समय उस फसल की किस्म पर आधारित होती है। कुलथी की खेती के लिए निम्नलिखित प्रकार की किस्में उपलब्ध है जैसे

  • वी एल गहत 1
  • बिरसा कुल्थीं
  • मधु
  • डी बी 7आदि कई मुख्य किस्म है।

कुल्थी की फसल के लिए खेत की तैयारियां

इस फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सबसे पहले हमें क्षेत्र को तैयार करना होता है। खेत की अच्छी गहराई से जोताई करके मिट्टी को उत्तल पुथल कर देना है। खेत की मिट्टी बारिक और भुरभुरी होनी चाहिए, खेत में पर्याप्त मात्रा में नाम होनी आवश्यक हैं। खेत में बीजों की बुवाई से पहले गोबर की खाद डालकर उसे मिट्टी में अच्छे से मिला दे। खेत में रोटावेटर की सहायता से गोबर और मिट्टी को मिला दे और पता लगा कर खेत को समतल बना लेवे, ताकि बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए।

कुलथी के बीज को रोपाई

कुल्थी की बीज की रोपाई तकनीकी तरीके से की जाती है।
अगर किसान कुलथी की खेती चारे के रूप में करना चाहता है तो वह छिड़काव विधि द्वारा इस फसल की बुवाई कर सकता है। इस विधि के द्वारा बीजों को समतल भूमि में फेंक दे जाता है, और पाटा लगाकर से हल्की सी जुताई कर दी जाती है।
कुलथी की फसल की बुवाई जुलाई के माह में की जाती है जिसे हम खरीफ की फसल पर रहते हैं। फसल को पानी की आवश्यकता होती है।

कुल्थी के पौधों की सिंचाई

कुलथी के पौधों की सिंचाई फसल की रोपाई के आधार पर की जाती है। अगर चारे के रूप में इस फसल की बुवाई करते हैं तो इसको ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। जबकि पैदावार के रूप में इस फसल को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता होने पर ही इस फसल को सिंचाई करें। उत्पादन के रूप में अगर इस फसल की बुवाई करते हैं तो आप फली बनते समय इस फसल की सिंचाई करें और जरूरत पड़ने पर समय समय पर सिंचाई कर सकते हैं।

कुलथी के फसल में उर्वरक की मात्रा

कुलथी के पौधे को उर्वरक की मात्रा की आवश्यकता फसल की पैदावार होती है। हरे चारे की खेती में रासायनिक दवाइयों और उर्वरक की जरूरत ज्यादा होती है, हरे चारे की खेती करने से पहले आपको खेत में फास्फोरस नाइट्रोजन की मात्रा रासायनिक उर्वरक के रूप में फसल की रोपाई से पहले प्रति हेक्टेयर के खेत में छिड़काव विधि द्वारा डाल सकते हैं। उर्वरक डालने पर पौधे का विकास और वृद्धि तेजी से होता है और पैदावारी बढ़ जाती है।
खेतों में जैविक खाद डाल सकते हैं,

निष्कर्ष

दोस्तों, आज इस पोस्ट में कुलथी की खेती कैसे करें, उत्पादन, लाभ और कमाई आदि के बारे में विस्तार रुप से जानकारी उपल्ब्ध कराई हैं, आपको यह पोस्ट बहत ही पसन्द आई होगी,हम उम्मीद करते है कि आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करेंगे और उन्हे कुल्थी की खेती से सम्बन्धित जानकारी के बारे में बताएंगे और इस फसल से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी देंगे।

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