खीरे की खेती कैसे करें नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से खीरा की खेती कैसे करें और इसकी खेती करने से होने वाला लाभ ,कमाई ,उत्पादन और लागत के बारे में जानकारी विस्तृत रूप से इस लेख में देंगे। अगर आप खीरा की खेती करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है आप इसे शुरू से अंत तक एक बार जरूर पढ़े।
खीरा की उत्पत्ति भारत में ही हुई है और लताओं वाली सब्जियों में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान रहता है। खीरा के फल का उपयोग मुख्य रूप से सलाद के रूप में किया जाता है। इसके फल में जल ,कार्बोहाइड्रेट्स ,खनिज ,प्रोटीन ,आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके फल में विटामिन डी की मात्रा पशु रूप से पाई जाती है।
खीरा का फल कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। खीरा के फल का उपयोग करके कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन बनाए जा रहे हैं। खीरा के फल को देसी भाषा में ककड़ी की भी कहते हैं। भारत के सभी देशों में खीरा की खेती प्राथमिकता के आधार पर की जाती है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से खीरे की फसल की खेती कैसे करें और होने वाले लाभ के बारे में बताएंगे।
खीरा की खेती के लिए उपयोगी जलवायु
केला की खेती करने के लिए 20 से 40 डिग्री Celsius तापमान आवश्यक माना जाता है। आवश्यकता से ज्यादा बरसात होने पर और आद्रता होने पर इस फसल में कीटों व रोगों में वृद्धि होती हैं। खीरा की खेती गर्मी की फसल के रूप में कर सकते हैं। इस फसल को गर्म जलवायु में उगाया जाता है।
खीरा की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
खीरा की फसल की पैदावार प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी आवश्यक मानी जाती है, इस मिट्टी खीरे का उत्पादन अधिक होता है। खेतों में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 होना चाहिए। भूमि में कार्बन की मात्रा की अधिकता होनी चाहिए।
खीरा की खेती करने के लिए उन्नत किस्में
भारत में सभी प्रकार की फसलों का उत्पादन प्राप्त करने के लिए उनकी अलग-अलग किस्में होती है और उन अलग-अलग किस्मों के पैदावार और समय अलग अलग होता है। खीरा की खेती करने के लिए निम्नलिखित किस्में है जैसे –
- विदेशी किस्में -जापानी लॉन्ग ग्रीन, चयन स्ट्रेट -8 , पॉइंसेट
- उन्नत किस्में -स्वर्ण पूर्णिमा, स्वर्ण अगेती, पूसा उदय, पंजाब सिलेक्शन, आदि
- संकर किस्में – पंत संकर खीरा, हाइब्रिड आदि
खीरा की खेती करने के लिए खेत की तैयारियां
जब हम किसी प्रकार की फसल का उत्पादन करते हैं तो सबसे खेत को तैयार करना होता है। खेत को गहराई से जुताई करके मिट्टी को उथल पुथल कर देना चाहिए। मिट्टी को कल्टीवेटर की सहायता से बारिक और भुरभुरा बना लेना चाहिए। पाटा लगा कर खेत को समतल कर ले। खेतों में पर्याप्त मात्रा में गोबर खाद डाल देना चाहिए और खाद और मिट्टी को अच्छे से मिला देनी चाहिए जिससे खेत की मात्रा बनी रहे।
खीरा की खेती करने के लिए उर्वरक
खीरा की खेती करने के लिए खेतों में पर्याप्त मात्रा में गोबर खाद या सड़ी गली खाद डाल देनी चाहिए, अर्थात रासायनिक वर्मी कंपोस्ट खाद भी खेतों में डाल सकते हैं। समय-समय पर पौधे को निराई गुड़ाई करने आवश्यक होती है।
खीरा की फसल की बुवाई का समय
खीरा की फसल मुख्य रूप से मैदानी वाले क्षेत्रों में फरवरी से जून के मध्य की जाती है। दक्षिण भारत में खीरा की खेती जून से अक्टूबर के बीच की जाती है। और उत्तरी भारतीय क्षेत्र में अप्रैल से मई के समय में खेती की जाती है। इससे फसल की बुवाई का समय अलग-अलग स्थानों पर अलग अलग होता है, क्योंकि यह फसल जलवायु पर निर्भर होती है।
खीरा की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था
खीरा की फसल की पैदावार करने के लिए बुवाई के समय खेतों में नमी पर्याप्त मात्रा में होने आवश्यक होती है। बरसात के मौसम में वाली पसंद को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मी के मौसम में खीरा की फसल को 1 सप्ताह में एक बार सिंचाई करने की जरूरत होती हैं। मुख्य बात तने की वृद्धि, फल आने का सही समय और फल की बड़ावर के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।
खीरे की खेती में खरपतवार नियंत्रण
वर्षा ऋतु के समय में इस फसल की बुवाई के समय खरपतवार की समस्या बनी रहती है। खरपतवार फसल के विकास और वृद्धि में प्रतिकूल प्रतिक्रिया करता है, और पौधे कि बड़वार में रुकावट देता है। इसलिए समय-समय पर खेतों से खरपतवार है निकालना चाहिए। खरपतवार निकालते समय खीरा की पौधे की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना चाहिए जिससे पौधे का विकास तेजी से हो सके।
खीरा की फसल पर लगने वाले कीट और रोग
जब किसान किसी तरह की फसल का उत्पादन करता है तो उसमें किसी ना किसी प्रकार का रोग और किट जैसी बीमारियां लग जाती है जो फसल को नष्ट और क्षति पहुंचाता है। कीट और रोग जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए समय-समय पर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए और अपनी फसल को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
खीरा की फसल की पैदावार और तुड़ाई
खीरा की फसल की पैदावार उस फसल की किस्म की चयन, फसल प्रबंधक और अनुकूलता पर पूर्ण रूप से आश्रित होती है। वैज्ञानिक तकनीकी की खेती करके औसतन 200 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के खेत से पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। संकर किस्मों की फसल की पैदावार अधीक होती हैं।
खीरा का फल मुलायम और कोमल अवस्था में तोड़ना चाहिए। इसके फलों की तुड़ाई 3 से 4 दिनों के अंतराल में करने चाहिए। समय-समय पर फलों की तुलाई करने पर पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
इस फसल का बाजार में मांग होने के कारण बिक्री अधिक होती है और कंपनियां इस फल का उपयोग करके कॉस्मेटिक चीजें बनाने लगी है जिससे इसकी डिमांड बनी रहती है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से खीरा की खेती कैसे करें और इससे होने वाले लाभ उत्पादन और पैदावार में वृद्धि आदि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की है ,हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी। आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और उन्हें खीरा की खेती करने के बारे में जागरूक करें और इससे होने वाले लाभ कमाई के बारे में बताए।
1 thought on “अब आप भी करो खीरे की खेती तुरंत जान लो की खीरे की खेती कैसे करें?”