भारत के कई हिस्सों में है कपास की खेती को किया जा रहा है क्योंकि कपास की खेती को करके किसान अच्छी कमाई कर लेता है जिस वजह से किसान की आर्थिक स्थिति में अच्छा परिवर्तन हो जाता है। कपास एक प्रकार की नकदी फसल के रूप में जानी जाने वाली फसल है। की सबसे ज्यादा पैदावार तटीय क्षेत्रों में देखी जाती है। बाजार में कई प्रकार की किस्में और प्रजातियां मौजूद है।
आप सभी तो जानते ही हैं की कपास का इस्तेमाल कपड़े बनाने में किया जाता है इसके अलावा भी कपास का कई प्रकार से उपयोग किया जा रहा है। कपास की खेती नकदी फसल होती है। कपास की खेती को करने के लिए हमें सबसे अधिक हार्ड वर्क करने की जरूरत होती है। इस खेती को करने वाले किसान कपास को खेत में लगाने से लेकर बेचने तक काफी अधिक मात्रा में मेहनत करते हैं। कपास का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है वैसे तो सबसे ज्यादा कपास का उपयोग कपड़े बनाने में किया जा रहा है। और कपास के बीजों के द्वारा तेल वे निकाला जाता है।
कपास की खेती को करने के लिए कई प्रकार की किस्में मौजूद हैं। इस खेती को करने के लिए आपको ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होगी और आप खेती को असिंचित जगहों पर बड़ी आसानी से कर सकेंगे। और कपास की खेती को किसी प्रकार के जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है।
दोस्तों अगर आज आप कपास से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी को हासिल करना चाहते हैं तो आपको इतने को शुरू से अंतिम तक पढ़ना चाहिए जिससे कि आपको जानकारी मिल सके और आप बड़ी आसानी से कपास की खेती को कर पाए आज के इस लेख में हम कपास की खेती से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी विस्तार से जानेंगे। तो दोस्तों इसलिए को शुरू करते हैं।
कपास की खेती को करने के लिए उपयुक्त मिट्टी –
कपास की सबसे बेहतरीन पैदावार के लिए ब्लूई दोमट मिट्टी और काली मिट्टी को सबसे अधिक अपयोग में लिया जाता हैं। और तो वर्तमान में कई प्रकार की संकर किस्में भी आ चुकी हैं। जिसकी वजह से हम इस खेती को रेतीली और पहाड़ी मिट्टी में भी कर सकते हैं। खेती के लिए उपयुक्त में ली गई मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6 के बीच में होना चाहिए।
जलवायु तापमान –
जैसा कि हम पहले ही जान चुके हैं कि कपास की खेती को करने के लिए किसी भी प्रकार के खास जलवायु की आवश्यकता नहीं पड़ती है। बस आपको ध्यान रखना है कि सर्दी में पढ़ने वाला पाला कपास के लिए नुकसानदायक है। इसी के साथ ही आपके पास जल निकासी वाली मिट्टी का प्रबंधन होना चाहिए। जब कपास के पौधे पर टिंडे निकलते हैं उस समय इन तीनों को अधिक धूप की आवश्यकता होती है। तापमान की आवश्यकता कपास के बीजों को अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। उसके पश्चात कपास के पौधे को वृद्धि करने के लिए 25 से 30 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता पड़ती है।
कपास की खेती के लिए उन्नत किस्में –
कपास की अधिकतम मात्रा में किस्में मौजूद है। सभी किस्मों के लिए श्रेणियां होती है। रेशों के आधार पर किस्में को श्रेणी में रखा जाता है। उन्नत किस्मों को रेशों के रूप में अलग-अलग तीन भागों में रखा जाता है।
- छोटे रेशों की कपास
- मध्यम रेशों की कपास
- बड़े देशों की कपास
छोटे रेशों की कपास
उत्तर भारत में सबसे अधिक छोटे रेशों की कपास वाली श्रेणी की पैदावार को सबसे अधिक किया जाता है इस श्रेणी के पौधों के रेशों की लंबाई 3.5 सेंटीमीटर से कम होती है। उत्तर भारत में सबसे अधिक मात्रा में इस खेती को करने वाले राज्यों के नाम कुछ इस प्रकार है। जैसे कि राजस्थान, हरियाणा, मणिपुर, त्रिपुरा, असम, पंजाब, है उत्तर प्रदेश आंध्र प्रदेश। इन राज्यों में इंस श्रेणी का कुल उत्पादन लगभग 15% के आस पास होता है।
मध्यम रेशों की कपास
इस श्रेणी को कपास की मिश्रित श्रेणी की कपास भी कहा गया है। इस श्रेणी के पौधों के रेशों की लंबाई 3.5 सेंटीमीटर से लेकर 5 सेंटीमीटर तक होती है। भारत में इस श्रेणी के कपास का 45% उत्पादन किया जाता है।
बड़े रेशों की कपास
इस श्रेणी के कपास को श्रेष्ठ कपास यानी कि उत्तम कपास माना गया है। इस श्रेणी के पौधों के रेशों की लंबाई 5 सेंटीमीटर से भी अधिक पाई जाती है। इस श्रेणी की खेती को तटीय क्षेत्रों में किया जाता है। इसे समुंद्र देखती है दिव्य व्दिपीय कपास के नाम से भी जाना जाता है। भारत में इस श्रेणी का उत्पादन 40% तक का होता है।
कपास की खेती के लिए जुताई
सबसे पहले तो आपको इस खेती को करने के लिए खेत में अच्छे से जुताई करके उसे कुछ समय के लिए है भूल जाएं कुछ दिनों के पश्चात प्राकृतिक यानी के गोबर की खाद जुदाई किए हुए खेत में डाल दें तत्पश्चात उसे मिट्टी में मिलाने के लिए फिर से अच्छे से जुताई करें। बारिश का विशेष रूप से ध्यान रखें अगर बारिश नहीं होती है तो खेत में पानी की व्यवस्था करके पानी से सिंचाई कर देनी चाहिए। उसके पानी के सूख जाने के पश्चात आप एक बार और फिर से जोताई करवा दें इससे आपको लाभ यह होगा कि मिट्टी में मौजूद सभी खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। अब आपको मिट्टी को समतल करने की आवश्यकता होती है जिसके लिए आप मिट्टी में पाटा लगा सकते हैं पाटा लगाने के 1 दिन पश्चात बीज को लगाया जाता है।
बीज का समय
हम पहले ही जान चुके हैं कपास की कई प्रकार की किस्में होती हैं। तो कपास की कई किस्में के कई प्रकार के बीच भी होते हैं सभी का अपना अपना समय होता है उसी समय पर उनकी खेती को किया जाता है ऐसे क्षेत्र जहां पर पानी का अच्छा प्रबंधन हो उन क्षेत्रों में बीजों की रोपाई को आप अप्रैल महीने के चौथे सप्ताह में या मई महीने के शुरुआत में कर सकते हैं।
पैदावार और लाभ – कपास की अलग-अलग किस्में होती है उनकी पैदावार भी अलग अलग ही होगी देसी किस्म की अगर बात की जाए तो देसी किस्में की पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है, अमेरिकन शंकर को देखा जाए तो लगभग 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त हो जाती है। जो भी किसान इस खेती को करता है वह इस खेती के जरिए एक हेक्टेयर में कम से कम 3 लाख से ऊपर की ही कमाई करता है।
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FAQ
Q.1 कपास की खेती को करने के लिए उपयुक्त मिट्टी –
Ans – ब्लूई दोमट मिट्टी और काली मिट्टी
Q.1 – कपास की खेती को करने से पैदावार
Ans – देसी किस्में की पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है,
निष्कर्ष
कपास की खेती को कैसे किया जाता है, की जानकारी आपको विस्तार से मिल चुकी है। इस लेख की जानकारी आपको कैसी लगी है यह आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।
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