कलौंजी की खेती-भारत में सभी प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है और सभी फसलों की खेती करके अच्छा लाभ और कमाई प्राप्त की जाती है आज हम आपको इस पोस्ट ने कलौंजी की खेती कैसे करें और इससे होने वाले लाभ कमाई के बारे में बताने वाले हैं आप इस पोस्ट को एक बार शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें।
नमस्कार दोस्तो, इस पोस्ट में कलौंजी की खेती के बारे में बताएंगे। कलौंजी एक औषधि फसल के रूप में उगाया जाता है। कलौंजी का उपयोग बीज के रूप में भी करते हैं। कलौंजी की फसल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कलौंजी के बीज आकार में छोटे होते और काले रंग के होते हैं। कलौंजी के बीज का स्वाद तीखा होता है। कलौंजी में अनेक प्रकार की कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन विटामिन आदि पाए जाते हैं।
कलौंजी का औषधि रूप उत्तेजक कृमि नाशक और प्रोटोजोआ रोधी के रूप में करते हैं। कलौंजी के बीजों के सेवन से पेशाब संबंधित रोगों से छुटकारा मिलता है।
कलौंजी की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी
भारत में किसी प्रकार की फसल का उत्पादन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी आवश्यक होती है। मिट्टी का फसल की किस्म के अनुरूप होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि उससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
कलौंजी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयोगी साबित होती है। खेतों में जल निकासी वाली व्यवस्था होनी आवश्यक होती है। खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए। खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7के बीच होना चाहिए।
कलौंजी की खेती के लिए आवश्यक जलवायु, तापमान
जब हम किसी प्रकार की फसल का उत्पादन करते हैं तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका फसल की जलवायु और तापमान पर निर्भर करता है। कलौंजी के पौधे के अच्छे विकास के लिए उष्णकटिबंधीय गर्म जलवायु बहुत ही अधिक आवश्यक मान जाती है। कलोंजी के पौधे सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में अच्छे से वृद्धि करते हैं। कलौंजी के पौधे के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। इस फसल को रबी की फसल कहा जाता है।
कलौंजी के बीज को अंकुरित होने के लिए सामान्य तापमान की अधिकता होती है। कलौंजी के पौधे की वृद्धि के लिए 18 डिग्री तापमान होना आवश्यक होता हैं। कलौंजी की फसल को पकने के लिए 30 डिग्री तापमान की अवश्यकता होती है।
कलौंजी के खेत की तैयारियां
कलौंजी की फसल की बुवाई से पहले आपको खेत को अच्छे से तैयार करना होता है। खेत की गहराई से जुताई कर लेना चाहिए। मिट्टी में धूप घुसने के लिए खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ना चाहिए।
खेत में गोबर खाद डालना चाहिए क्योंकि गोबर खाद डालने से खेत उर्वरक की मात्रा बढ़ती है। खेत की मिट्टी को बारीक और भुरभुरी कर देनी चाहिए। खेत को समतल बनाना चाहिए। खेत में जलभराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए।
कलौंजी की फसल की बुवाई का समय
- कलौंजी के बीज को खेत में छिड़काव विधि द्वारा रोपाई की जाती है। एक हेक्टेयर की जमीन में 7 किलो कलौंजी के बीजों की आवश्यकता होती है।
- कलौंजी की इस फसल को रबी की फसल कहा जाता है। इस फसल की बुवाई अक्टूबर के बीच की जाती है और कटाई मार्च से अप्रेल के महीने में की जाती है।
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कलौंजी के पौधे की सिंचाई व्यवस्था
जब हम रबी की फसलों का उत्पादन करते हैं तो उन्हें सिंचाई की आवश्यकता होती है ।
कलौंजी की फसल को सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है हालांकि कलौंजी के बीजों की रोपाई के तुरंत बाद इस फसल की सिंचाई की जाती है। बीज को अंकुरित होने के लिए खेत में नमी होना आवश्यक होता है इसलिए खेत में दूसरी बार सिंचाई कर दी जाती है। फसल के इस चक्र में कलौंजी की फसल को तीन से चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
कलौंजी की फसल में खरपतवार नियंत्रण व्यवस्था
खरपतवार किसान के खेतों के ऊपर निर्भर करता है। जिस खेत में अधिक खरपतवार उगता है उस खेत में निराई गुड़ाई की अवश्यकता अधिक होती है। प्राकृतिक विधि द्वारा खेतों में निराई गुड़ाई की जा सकती है और रासायनिक कीटनाशक दवाइयों से भी आप इस फसल का बच्चा और खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं।
कलौंजी के फसल में लगने वाले रोग और रोकथाम
जब आप किसी प्रकार की फसल का उत्पादन करते हैं तो उसमें कई प्रकार के रोग और वायरस जैसी बीमारियां आ जाती है रोग और विषाणु से निपटारा करने के लिए और अपनी फसल को बचाने के लिए आप रसायनिक दवाइयों का छिड़काव कर सकते हैं।
कटवा इल्ली रोग जेड-कलौंजी के पौधे में इस प्रकार के रोग बीज अंकुरण के समय दिखाई देता है। इस रोग के लगने से वह पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। यह रोग पौधे की जमीनी सतह पर आक्रमण करता है।
जड़ गलन रोग -इस प्रकार का रोग बारिश के मौसम में अधिक दिखाई देने को मिलता है। इस रोग से पौधे की जड़ सड़ने लगती है, और पौधे की पत्तियां पीली होकर मुरझने लगती है। रोग के बचाव के लिए खेतों में जलभराव नहीं होना चाहिए।
कलौंजी की खेती से पैदावार और लाभ
- कलौंजी के पौधे को पकड़ने के लिए 3 से 4 महीने तक का समय लगता है। कलौंजी की फसल एक हेक्टेयर ज़मीन से लगभग 10 क्विंटल तक का उत्पाद कर सकते है।
- कलौंजी का बाजार में भाव 500 से 600 रूपये किलो तक होता है। किसान फसल का उत्पादन करके अच्छी कमाई कर सकता है और लाभ प्राप्त कर सकता है।
- एक हेक्टेयर खेत से 2 से ₹300000 तक की कमाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आज हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से कलौंजी की खेती कैसे करें और इससे होने वाला उत्पादन, कीमत,और लाभ आदि के बारे में बताया है, हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी। आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और उन्हें कलौंजी की खेती के बारे में बताएं।
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