जानिए काबुली चने या डॉलर चने की खेती कैसे से जुडी हुई पूरी जानकारी

काबुली चने की खेती से संबंधित बेसिक जानकारी नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से काबुली चने अर्थात डॉलर चने की खेती कैसे करें और खेती में लगने वाली लागत ,उत्पादन ,कीमत , और से जुड़ी समस्त जानकारी देने वाले हैं अगर आप काबुली चने की खेती करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को ध्यान पूर्वक शुरू से अंत तक जरूर पढ़े।

काबुली चना की खेती देसी चने की खेती की तरह की जाती है। काबुली चने को डॉलर चना भी कहा जाता है। काबुली चने का पौधा देसी चने के पौधे से बड़ा होता है, इस पौधे पर फलियां देरी से लगती है। इस चने को पकने में ज्यादा समय लगता है। डॉलर चने का रंग हल्का गुलाबी या हल्का सफेद होता है इस चने आकार अन्य चनों के मुकाबले बड़ा होता है। काबुली चने का उपयोग सब्जी के साथ , भूनकर खाने भी किया जाता है।

पथरी पेट संबंधी बीमारियां और मोटापा दायक साबित होता है। काबुली चने की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। इस फसल या खेती को रबी की फसल कहा जाता है। काबुली चने को सिंचाई की आवश्यकता कम होती है लेकिन सिंचाई करनी आवश्यक मानी जाती है। वर्तमान स्थिति में काबुली चने का उपयोग अधिक बढ़ गया है और यह फसल मुनाफा देने वाली होती है और इसका उत्पादन बड़े खेत और बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

अगर आप काबुली चने की खेती करना चाहते हैं तो इससे संबंधित सारी जानकारियां हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको देने वाले हैं।

काबुली चने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

काबुली या डॉलर चना की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट हल्की दोमट मिट्टी में उगाना आवश्यक होता है। खेतों में जलभराव नहीं होना चाहिए ,जलभराव होने पर रोग लग सकते हैं। काबुली चने की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 के आसपास होना चाहिए।

काबुली चने खेती के लिए उचित जलवायु और तापमान

काबुली चने की खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु उपयोगी मानी जाती है, काबुली चने की खेती पौधे के विकास के लिए सर्दियों का मौसम अधिक लाभदायक होता है। सर्दियों के मौसम में पाला पड़ने पर काबुली चने की फसल नुकसानदायक होता है। गर्मियों के मौसम में काबुली चने की खेती नहीं की जा सकती हैं।
चना की खेती के लिए सामान्य तापमान की अवश्यकता होती है। काबुली चने के बीज अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान होना आवश्यक होता है।

काबुली चने या डॉलर चने के लिए उन्नत किस्में

जब हम किसी प्रकार की फसल की बुवाई करते हैं उस फसल किस्म अलग अलग होती हैं। काबुली चने के लिए कई प्रकार की किस्में पाई जाती है जो इस प्रकार है जैसे –

  1. श्वेता
  2. मैक्सिकन बोल्ड
  3. हरियाणा कबूली 1
  4. चमत्कार
  5. काक 2
  6. एच की 2
  7. जे जी के 1
  8. एस आर 10
  9. पूजा 1003
  10. शुभ्रा

काबुली चना की फसल के लिए खेत की तैयारियां

काबुली चने की फसल के लिए सबसे पहले खेतों को गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेतों में धूप घुस सके। खेत में गोबर खाद डालकर उसे मिट्टी में मिला दे जिससे खेत में उर्वरक की मात्रा बढ़ जाए और फसल उत्पादन में वृद्धि हो सके।
खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए रोटावेटर की सहायता से मिला सकते हैं। खेतों में पाटा लगाकर समतल बना ले।

काबुली चना के बीज रोपाई और उपचार

इस चने की एक एकड़ में 35 से 40 किलो बीज की जरूरत होती हैं।बीजों की रोपाई से पहले कार्बनडैनजिम, मेंकोजेब से उपचरित कर लेना चाहीए।

काबुली चना की रोपाई का तरीका

कबूली चना की बीज रोपाई मशीनों की माध्यम से की जाती हैं।ड्रिल मशीन के दौरान बीज को पंक्तियों में उगाया जाता है। काबुली चने को रबी की फसल भी कहा जाता है। हालंकि सिंचित और असिंचित जगह पर इनका बीजारोपण अलग अलग किया जाता है।

डॉलर या काबुली चना के पौधे की सिंचाई

काबुली चने को देसी चने की तुलना में अधिक सिंचाई की जरूरत होती हैं , पहली सिंचाई पौधा रोपाई के लगभग आस पास करनी चाहिए। चनो में फलिया बनने के दौरान उसे सिंचाई करनी चाहिए। किस फसल में फल बनने के चलते कभी भी सिंचाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे फल खराब हो जाता है और फसल नष्ट हो जाएगी।

चने के खेत में उर्वरक की मात्रा

चने के पौधे को उर्वरक की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। चना के पौधे भूमि से नाइट्रोजन की आपूर्ति कर लेते हैं जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। चने की बुवाई के समय से पहले खेत में गोबर खाद डाल देनी चाहिए। रासायनिक खाद का उपयोग चने की बुवाई से पहले कर देना चाहिए।

चने के खेत में खरपतवार नियंत्रण

जब आप किसी तरह की पसंद का खेती करते हैं तो उसमें कई प्रकार की खरपतवार रुक जाते हैं उस खरपतवार को खेतों से बाहर निकालना होता है। यह खरपतवार जमीन के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व को करण करके पौधों के विकास को रोक देते हैं, जिसका असर फसल की पैदावार को देखने को मिलता है जिनका समय-समय पर निराई गुड़ाई करके प्राकृतिक विधि द्वारा बाहर निकाला जा सकता है।
खरपतवार की पहली निराई गुड़ाई अंकुरित के समय कर देनी चाहिए और दूसरी बुराई 1 से 45 दिन क्या बात करनी चाहिए। जब जब खेतों में आपको खरपतवार दिखाई देते हैं उस समय आप निराई गुड़ाई कर सकते हैं।

चने की फसल पैदावार और लाभ

काबुली चने के दाने सामान्य चने से बड़े होते हैं। जिसकी विभिन्न किस्मों का प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है। इन चनो का बाजार में भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल जाता है इस हिसाब से इस फसल से आप एक से डेढ़ लाख रुपए तक का मुनाफा कमाई कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको पोस्ट में काबुली चने अर्थात डॉलर चना की खेती कैसे करें और इसमें लगने वाली लागत, कीमत, और कमाई के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की है।

हमें उम्मीद है कि जब पोस्ट आपको बहुत पसंद आई होगी हम आपसे आशा करते हैं कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और उन्हें काबुली चने की खेती करने के बारे में बताएं और इससे होने वाले लाभ , कमाई और मुनाफा कमाया जा सकता है।


आगे भी हम आपके लिए खेतीबाड़ी से संबंधित फसलों के बारे में नए-नए आर्टिकल और नई नई फसलों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करवाने वाले है

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