चुकंदर की खेती कैसे करें?

चुकंदर की खेती -आज के इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए भारतीय कृषि उपज फलों से संबंधित ‘ चुकंदर की खेती कैसे करें’ के बारे में विस्तार से जानेंगे। आप इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।

जैसा की आपको पता है कि भारत,कृषि पर निर्भर देश है और यहाँ सदियों से खेती की जा रही है और लगभग सभी प्रकार की खेती भारत मे की जाती है और उनकी ऊपज भी बहुत अच्छी मात्रा में होती है। जैसे -जैसे भारत विकास कर रहा है वैसे -वैसे भारत में कृषि से संबंधित साधन, टेक्निकल, और फसलों में अच्छी गुणवत्ता व आधुनिक खेती का प्रयोग होता जा रहा है।

किसान, अब बाजारों को समझता जा रहा है और market में जिस फल, या सब्जी,या अन्य उदपादक की मांग को ध्यान में रखते हुए अधिक मुनाफा देने वाली फसलों का या फलों का उत्पादन करने लग गया है जिससे उसे अच्छा मुनाफा मिले, इसी के चलते आज किसान फलों और सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहा है। आज हम इस पोस्ट में चुकंदर की खेती के बारे में जानकारी देने वाले है तो आप इस Post को शुरु से अंत तक ध्यान से पड़े।

चुकंदर की खेती कैसे करें

चुकंदर के लिए ‘ फल एक, गुण अनेक ‘की कहावत अतिश्योक्ति नहीं होगी। लाल रंग का योग फल चुकंदर में चीनी प्रोटीन होते हैं। चुकंदर में औषधीय गुण पाए जाते हैं। चुकंदर के फल में मैग्निशियम, कैलशियम ,आयोडीन, पोटेशियम आयरन ,विटामिन बी, विटामिन सी की मात्रा रूप से पाई जाती है। चुकंदर के फल को सब्जी सलाद जूस आदि के उपयोग के लिए किया जाता है। सर्दी के मौसम में चुकंदर के फल की सबसे अधिक मांग होती है। ऑर्गेनिक फार्मिंग इस दौर में आहार का सेवन कर रहे हैं इसलिए चुकंदर की खेती अच्छी कमाई कर सकते हैं।

चुकंदर की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

जब आप इसी तरह की फसल की बुवाई करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण उसकी जलवायु की होती है। चुकंदर की फसल ठंडे मौसम की फसल है। सर्दियों के मौसम में इसका रंग बनावट और गुणवत्ता होती है। लेकिन चुकंदर को हल्की गर्म जलवायु में भी उगाया जा सकता है। विषम आयोडीन कैल्शियम आयरन पोटेशियम विटामिन सी और विटामिन बी से भरपूर चुकंदर की खेती के लिए 18 डिग्री तापमान से 21 डिग्री तापमान सही माना गया है।

चुकंदर की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी

चुकंदर की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी होती है। अच्छी पैदावार के लिए यह पर मिट्टी बहुत ही गुणवत्ता वाली मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 अच्छा होता है। अगर बलुई दोमट मिट्टी उपलब्ध नहीं होने पर आप लवणी मिट्टी भी उपयोग में ले सकते हैं।

चुकंदर की खेती के लिए सही समय

भारत की जलवायु के अनुसार चुकंदर की खेती का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर जनवरी फरवरी तक का होता है। चुकंदर की बुवाई का समय सम जलवायु में माना जाता है। ना तो ज्यादा गर्मी होनी चाहिए और ना ही ज्यादा शादी होनी चाहिए।

चुकंदर की खेती के लिए खेत की तैयारी

खेत को तैयार करते समय की गहराई से जुताई कर दे। खेत की मिट्टी में गोबर खाद या उर्वरक डाल दे जिससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ जाती हैं। खाद डालने के बाद चीजों को बोने से पहले खेत में क्यारियां बना ले। बीज बुवाई के समय मिट्टी में नमी की मात्रा बोने का समय और बीज की किस्म पर निर्भर करता है। खेत में अच्छे खाद और उर्वरक डाल दीया जाता है।

चुकंदर की खेती उन्नत किस्में

सभी प्रकार की फसलों की अलग-अलग किसमें होती है । चुकंदर की किस्में में इस प्रकार है-

डेट्राईट डार्क रैड

इस किस्म का चुकंदर देखने में गोल और लाल रंग का होता है। इस किस्म के पौधे की पत्तियां हरे रंग एवं लंबी होती है। इस किस्म की फसल का उपयोग करके किसान अच्छी पैदावार कर सकता है।

क्रिसमस ग्लोब

यह किस्मत भी सबसे अधिक पैदावार देने वाली होती है। इस किस्म के पौधे पर लगा हुआ चुकंदर चपटा और हरे रंग का होता है। इस किस्म के पौधे के पत्ते हरे रंग के होते हैं जिसमें कहीं-कहीं पर मरून रंग शेड दिखाई देता है। क्रिसमस ग्लोबल फल आंतरिक भाग लाल रंग का होता है।

अर्ली वंडर

इसमें का फल चक्की और चिकनी होती है। इस किस्म का फल तैयार होने में 55 से60 दिन का समय लग सकता है। इस किस्म के पौधे ऊपरी भाग हरे पत्तों और लाल डंडियों से भरा होता है।

चुकंदर की खेती में उर्वरक प्रबंधन

चुकंदर की खेती के लिए 50 किलो यूरिया 70 किलो डीएपी और 40 किलो पोटाश प्रति एकड़ मिलाया जाता है। खेत में जैविक खाद डालने से अच्छी परिणाम मिलते हैं। और चुकंदर के आकार को बढ़ने में मदद मिलती है। मिट्टी में बोरोन नहीं होना चाहिए इसके लिए पहले से ही मिट्टी की जांच करवानी चाहिए, क्योंकि इसकी उपस्थिति होने पर फसल की जड़े कमजोर होकर टूट जाती है। इससे बचाव के लिए मिट्टी में बोरिक एसिड या बोरोक्स डाल सकते हैं।

चुकंदर की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था

चुकंदर की फसल को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यदि बरसात का मौसम में बारिश अधिक होती है तो सिंचाई की आवश्यकता और भी कम हो जाती है। फसल बोने के शुरुआती में 15 दिनों में पहले सिंचाई कर देनी चाहिए।

खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए। सिंचाई सही तरीके से करनी चाहिए जिससे फसल का विकास और ग्रोथ अच्छी होती है। ड्रिप सिंचाई व्यवस्था फसल के लिए फायदेमंद साबित होता है। फसल को पककर तैयार होने में तीन से चार महीने का समय लग सकता है।

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चुकंदर की खेती में लागत और कमाई

चुकंदर की खेती के बाद कम से कम 2 से 3 महीने के अंदर जिससे 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर जड़े प्राप्त हो जाती हैं। जड़ों की कीमत ₹20 से ₹50 किलो तक प्राप्त हो जाती है। चुकंदर की फली की मांग पूरे साल बनी रहती हैं।

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