अखरोट की खेती कैसे करें in hindi 2024

अखरोट की खेती से संबंधित बेसिक जानकारी -नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में अखरोट की खेती पदार्थ ड्राई फ्रूट के बारे में बताने वाले हैं। फसल की खेती में लगने वाली लागत, उत्पादन,और कमाई आदि के बड़े में बताने वाले हैं।

अखरोट एक ड्राई फ्रूट होता है इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से खाने में क्या जाता है। अखरोट की खेती को सूखे मेवे की रुप में की जाता है। अखरोट में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। अखरोट के फल का ऊपरी हिस्सा बहुत ही सख्त होता है। अखरोट की खोज सर्वप्रथम इराक में की गई थी लेकिन इसकी लोकप्रियता के चलते यह पूरे विश्व में फ्रांस, स्पेन,जर्मनी, इटली आदि देशों में खाने के अलावा व्यापक रूप से की जाती है।

अखरोट के फल का उपयोग खाने के अलावा तेल , श्याही औषधि, रंजक ,और बंदूकों के कुंदो को तैयार करने में किया जाता है। अखरोट का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है। अखरोट का सबसे ज्यादा निर्यातक अमेरिका देश करता है। भारत में अखरोट की खेती पहाड़ी वाले सत्र में की जाती है। अखरोट के पेड़ की ऊंचाई 50 से 90 फिट के लगभग होती है। अखरोट को बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है और इससे लाभ कमाया जा सकता है।

अगर आप अखरोट की खेती करना चाहते हैं और इससे लाभ कमाना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही खास साबित होने वाली है। अखरोट की खेती से जुड़ी सभी जानकारियां इस पोस्ट में मिलने वाली है।

अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त मिट्ठी

अखरोट की खेती करने के लिए दोमट मिट्टी आवश्यकता होती है। जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए। श्ररीय मिट्टी अखरोट की खेती के लिए नुकसानदायक होती है। खेत का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए। संयमी जलवायु वाले प्रदेशों में अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस मिट्टी में अखरोट की खेती करके आप अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं ,कमाई प्राप्त कर सकते हैं।

अखरोट की खेती के लिए जलवायु और तापमान

अखरोट की खेती करने के लिए अधिक गर्मी और सर्दी वाले जलवायु में खेती नहीं की जा सकती है। ठंड के मौसम में गिरने वाला वाला अखरोट की खेती के लिए और इसकी पैदावार को अधिक प्रभावित करता है। ज्यादा बारिश हुई अखरोट की फसल के लिए नुकसानदायक होता है।
अखरोट के पौधे के अच्छे विकास और वृद्धि के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान आवश्यकता होता हैं। गर्मियों के मौसम में ज्यादा से ज्यादा 35 से 40 डिग्री तापमान को सर्दियों के मौसम में कम से कम 5 से 10 डिग्री तापमान होना आवश्यक होता है।

अखरोट की उन्नत किस्में

जब हम किसी ने किसी प्रकार की फसल का उत्पादन प्राप्त करते हैं तो वह उस फसल की किस्म पर आधारित होता है। अखरोट की अनेक प्रकार की किस्में पाई जाती है और उन सभी किस्मों का उत्पादन और समय अलग-अलग होता है आज हम अखरोट की किस्मों के बारे में जानने वाले हैं जो इस प्रकार है जैसे –

  • पूसा किस्म की अखरोट
  • ओमेगा 3 किस्म की अखरोट
  • कोटखाई सलेक्शन किस्म
  • लेक इंग्लिश किस्म आदि

अखरोट के खेत की तैयारियां

किसी प्रकार की फसल की बुवाई से पहले खेतों को तैयार करना अति आवश्यक होता है खेत की तैयारी करने के बाद ही हम उसे खेत में अपनी फसल की बुवाई कर सकते हैं या पौधों की रोपाई कर सकते हैं। खेत को सबसे पहले गहरी जुताई करके मिट्टी को उत्तर पुथल बना लेना है। खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दे ताकि मिट्टी में धूप घुस सके।

रोटावेटर की सहायता से मिट्टी को बारिक और बुलबुला बना ले और खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर ले। समतल होने से खेत में जलभराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

अखरोट के पौधे को खेत में लगाने से पहले खेतों में समान दूरियों पर गड्ढे बना लेना चाहिए। गड्ढों में उचित मात्रा में उर्वरक खाद या गोबर खाद मिला दे। जिससे अखरोट के पौधे अच्छे से विकास कर सके। गड्ढों में लगे पौधों को समय-समय पर पानी देना चाहिए।

अखरोट के पौधों की रोपाई का उचित समय

अखरोट का पौधा नर्सरी या किसी विभाग के द्वारा ले सकते हैं लेकिन ध्यान रखें कि पौधा एकदम स्वस्थ होना चाहिए। खेतों मैं तैयार किए गए गड्ढों में अखरोट के पौधे को सीधा और खड़ा लगा देना होता है। गड्ढों में गोमूत्र या बावीस्टीन से गड्ढों को उपचारित कर ले क्योंकि पौधे के विकास करने में किसी तरह का समस्या नहीं होनी चाहिए।

अखरोट के पौधे के लिए सर्दियों का मौसम उचित होता है। अखरोट के पौधे को दिसंबर से मार्ग के बीच लगाया जाता है। किस्मों के आधार पर किसान इसे बरसात के मौसम में भी लगा सकता है।

अखरोट के पौधे की सिंचाई व्यवस्था

अखरोट के पौधे को पौध रोपाई के समय अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है इसलिए अखरोट के पौधे को समय-समय पर पानी देना होता है। गर्मियों के मौसम में अखरोट के पौधे को हर हफ्ते सिंचाई करनी होती है। अखरोट के पौधे को पूर्ण होने पर इन्हें सिंचाई की आवश्यकता ना के बराबर होती है।

अखरोट की फसल में खरपतवार नियंत्रण

अखरोट के पौधे में अधिक खरपतवार नियंत्रण को जरूरत नहीं होती है। हालांकि खेत को साफ सुथरा रखने के लिए समय-समय पर प्राकृतिक विधि द्वारा निराई गुड़ाई कर सकते हैं और खरपतवार हटा सकते हैं। पौधरोपण के 1 महीने पश्चात निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए। जब आपको खेतों में खरपतवार दिखाई दे तो आप आपके हिसाब से खरपतवार हटा सकते हैं।

अखरोट के फलों की पैदावार और लाभ

अखरोट के पौधे की उम्र सामान्यतः 25 से 30 वर्षों तक होती है। अखरोट की उन्नत किस्म के पौधे बीज रोपाई के 4 से 5 वर्ष उम्र में ही पैदावार देने लग जाते हैं। अखरोट के फलों की ऊपरी छल फटने लगे तो फलों की तुड़ाई कर देनी चाहिए।

अखरोट का एक पौधा लगभग 40 से 50 किलो पैदावार देता है। अखरोट का बाजार में कीमत 500 से ₹1000 प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता है इस फसल की पैदावार करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है। अगर आप अखरोट की खेती करना चाहते हैं तो आपके लिए यह पोस्ट बहुत ही खास होने वाला है। अखरोट की खेती करके किसान काफी मुनाफा कमा सकता है और अपनी लागत से कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाकर किसान अमीर बन सकता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से आपको अखरोट की खेती कैसे करें पोस्ट से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे लागत उत्पादन और कीमत आदि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध की है हमें उम्मीद है की आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी आशा करते हैं कि इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उन्हें अखरोट की खेती करने के बारे में प्रेरित करें और इससे होने वाला मुनाफा और लाभ के बारे जानकारी उपलब्ध करवाए।