नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस लेख में आडू की खेती कैसे करें इसके बारे में आपको कोई जानकारी विस्तार से बताने वाले आप इस पोस्ट को एक बार शुरू से अंत तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़ें।
आडू की खेती भारत के उत्तरी प्रदेश में पहाड़ी वाले क्षेत्रों में की जाती है। आडू का फल गर्मी के मौसम का फल है। आडू की मुनाफा कमा सकते हैं खेती करके किसान अच्छा सा मुनाफा कमा सकते हैं।
आज के इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए भारतीय कृषि उपज फलों से संबंधित ‘ आड़ू की खेती कैसे करें’ के बारे में विस्तार से जानेंगे। आप इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
जैसा की आपको पता है कि भारत,कृषि पर निर्भर देश है और यहाँ सदियों से खेती की जा रही है और लगभग सभी प्रकार की खेती भारत मे की जाती है और उनकी ऊपज भी बहुत अच्छी मात्रा में होती है। जैसे -जैसे भारत विकास कर रहा है वैसे -वैसे भारत में कृषि से संबंधित साधन, टेक्निकल, और फसलों में अच्छी गुणवत्ता व आधुनिक खेती का प्रयोग होता जा रहा है।
आडू के फल के फायदे
- आडू का फल पीले और लाल रंग का होता है और सेब की आकार के जैसा होता है। आडू फल का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
- आडू के फल में फाइबर खनिज पोषक तत्व और विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आडू के पेड़ से गोंद निकलता है।
- इसमें से निकलने वाली गिरी में एक खास प्रकार का तेल भी निकलता है,जो कड़वे बादाम के तेल की तरह होता है। आडू के पेड़ से निकलने वाले गोंद और तेल लाभदायक होते हैं।
- आडू के उपयोग से डायबिटीज बुखार बवासीर आदि रोगों को इलाज के लिए उपयोगी माना गया है। आलू के फल का सेवन करने से प्रोटीन और खनिज तत्व हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में मिलते हैं जिससे हमारा शरीर रोग मुक्त होता है।
आडू के खेत के उत्पत्ति और क्षेत्र
आडू का वनस्पतिक नाम प्रुणसा पर्सिका हैं, यह रोजेसी वंश का पौधा है। वैज्ञानिक के अनुसार आडू के पौधे की उत्पत्ति ईरान में हुई। भारत में आलू की खेती उत्तरी भारत में होती है जोकि पर्वती और पहाड़ी इलाके होते हैं। यह फसल मुख्य रूप से कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश , और उत्तराखंड राज्य में होती है।
आडू की खेती के लिए जलवायु
आडू की खेती करने के लिए शीतोष्ण जलवायु उपयोगी साबित होती है। बसंत ऋतु में जहां पाला कम पड़ता है और ओलावृष्टि रहित इलाकों में इसकी खेती सर्वाधिक होती है। आलू की खेती उपोष्ण जलवायु में भी किया जा सकता है।
आडू की खेती के लिए उपयुक्त भूमि
आडू की खेती के लिए हल्की दोमट और बालुई दोमट मिट्टी सबसे अधिक लाभदायक होती है। यह बिट्टी जीवाश्म युक्त होनी आवश्यक चाहिए। इस भूमि की मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए। और खेत में उचित जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए।
आडू की खेती में फसल की उन्नत किस्में
आडू की खेती के लिए क्षेत्र के अनुसार निम्नलिखित उन्नत किस्में होती है –
हिमाचल प्रदेश उत्तरांचल प्रदेश की पहाड़ी इलाके जम्मू कश्मीर क्षेत्रों के लिए एलेग्जेंडर नोब्लेस तोता परी आदि प्रमुख किस्में हैं।
मैदानी इलाकों के लिए शान ए पंजाब, शरबती, सहारनपुर प्रभात आदि उन्नत किस्में होती है।
आडू की खेती के लिए खेत की तैयारियां
आडू की खेती करने के लिए खेत को गहराई से जुताई करने आवश्यक होती है। और मिट्टी को समतल बनाना होता है। खेत में अनावश्यक खरपतवार नहीं होना चाहिए। मिट्टी को समतल और भुरभुरी बना दे। आडू के पौधे को समान दूरी पर और उचित तरीके से खेत में लगाना चाहिए। पौधे की बीच की दूरी 5 से 7 मीटर तक होनी चाहिए। पौधे के लिए पौधे के गड्ढों में गोबर खाद और उर्वरक की मात्रा मिलाकर भर देना चाहीए।
आडू के पौधे लगाने का सही समय
आडू के पौधे लगाने का सही और उचित समय जनवरी से फरवरी का महीना होता है। पौधे लगाने से पहले खोदे गए गड्ढों को गोमूत्र या बविस्तीन से उपचारित कर देना चाहिए।
आडू की खेती करने के लिए सिंचाई व्यवस्था
आलू की खेती करने के लिए आपको सिंचाई व्यवस्था करनी सबसे आवश्यक होती है। आडू का पौधा लगाने के तुरंत बाद सिंचाई करनी आवश्यक होती है। गर्मी के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी बहुत ही आवश्यक होती है, और मौसम और मिट्टी की नमी के अनुसार आवश्यकता के अनुसार सिंचाई कर देनी चाहिए।
आडू की फसल में फल और फूल आने का समय
आडू के पेड़ में आने का उचित समय फरवरी से मार्च के बीच का होता है। यह फूल अप्रैल से मई तक पक कर तैयार हो जाते हैं।
आडू के फलों की तुड़ाई
आडू के पेड़ से फल की शुरुआत 3 से 4 साल बाद होने लगती है। फलों का रंग पकड़ने पर आकर्षक दिखाई देने लगे तब फलों की तुलाई कर लेनी चाहिए। फलों के पकने के बाद फलों की तुड़ाई करें। फलों के पकने से पहले तुड़ाई करने पर फलों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है, और बाजार में फलों का अच्छा भाव नहीं मिल पाता है जिससे आपको नुकसान ही नुकसान होता है और उस नुक्सान के हकदार आप ही होंगे।
आडू के फल की पैदावार
आड़ू का पेड़ शुरुआत के वर्षों में 10 से 20 किलो तक फल देता है। हालांकि पेड़ों की वृद्धि और विकसित होने पर फलों का उत्पादन बढ़ जाता है। 10 से 15 वर्ष के पेड़ का पूर्ण विकसित होने पर 7 से 80 किलोग्राम तक की पैदावार आप ले सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं। बाजार में इस फसल का भाव अच्छा होता है और कमाई भी अच्छी होती है।
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि हमने आपको इस पोस्ट में आडू की खेती कैसे करें के बारे में जानकारी प्रदान की है हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी और आप आडू की खेती के बारे में स्पष्ट और सही रूप से जान गए होंगे आशा करते हैं कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे।