कटहल की खेती से संबंधित बेसिक जानकारी -नमस्कार दोस्तों, जब हम किसी प्रकार की फसल की पैदावार करते हैं या फसल की बुवाई करते हैं तो उस फसल के बारे में हमें जानकारी होनी आवश्यक होती हैं। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से कटहल की खेती के बारे में बताने वाले हैं, कटहल की खेती से होने वाले लाभ और कमाई के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। अगर आप कटहल की खेती करना चाहते हैं तो इस पोस्ट शुरू से अंत तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़े।
भारत में कटहल की खेती एक बड़े पैमाने के रूप में की जाती है। कटहल को विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहा जाता है। कटहल का पेड़ पूर्ण विकसित होने पर कई वर्षों तक पैदावार देता है। इस फल को मुख्य रूप से सब्जी के रूप में उपयोग में ले जाता है। कटहल के ऊपरी परत पर या छाल पर कांटे लगे होते है।
कटहल के फल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इस प्रकार है जैसे -कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम ,विटामिन आदि प्राप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो मानव शरीर और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। कटहल के पौधे से 1 वर्ष में दो बार फलों को प्राप्त किया जाता है। किसान फसल की खेती करके दुगुना मुनाफा कमा सकता है।
ध्यान देने वाली बात कटहल को खाने के बाद इसके तत्पश्चात कभी भी पान नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे मोटापा होने की समस्या हो सकती है।. अगर आप कटहल की खेती करना चाहते हैं तो बहुत ही खास होने वाली है।
कटहल की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
कटहल की फसल की खेती सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसकी फसल के लिए उपयोगी मानी जाती है। खेत की भूमि पर जलभराव कि समस्या नहीं होनी चाहिए। खेत की मिट्टी का पीएच मान 7 के आसपास होना आवश्यक माना जाता है। इस मिट्टी में कटहल की खेती करके आप अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कटहल की खेती उपयुक्त जलवायु और तापमान
कटहल की फसल की खेती के लिए गर्म और ठंडी जलवायु उपयुक्त माना जाता है। कटहल के पौधे अधिक गर्मी और वर्षा वाले मौसम में आसानी से वृद्धि और विकास कर सकते हैं हालांकि सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला कटहल की पौधे के लिए नुकसानदायक होता है। 10 डिग्री तापमान यह कम होने पर पौधों की वृद्धि और विकास के लिए यह तापमान नुकसान दायक होता है।
कटहल के पौधे की उन्नत किस्में
भारत में सभी प्रकार की फसलों के अनेक प्रकार की किस्में पाई जाती है जिनका अलग-अलग उत्पादन और समय अलग अलग होता है इन किस्मों के आधार पर थी उत्पादन और पैदावार में वृद्धि होती है।
हम आपको कटहल के पौधे की किस्मों के बारे में बताने वाले हैं जो इस प्रकार है जैसे –
- स्वर्ण मनोहर किस्म
- सिंगापुरी किस आदि
कटहल का पेड़ की रोपाई के लिए खेत की तैयारियां
कटहल फल का पेड़ का पौधा एक बार तेयार हो जाने के बाद कई वर्षों तक पैदावार देता है। सबसे पहले हमे खेत को अच्छे गहराई के साथ जुताई करने होती है। खेत में पुरानी फसल के अवशेष को पूरी तरह समाप्त करना चाहिए। खेत में पाटा लगाकर समतल बना दे। खेतों में सामान दोषियों पर गड्ढे खोदकर उन गड्ढों में गोबर खाद और उर्वरक डाल देना चाहिए। कुछ दिनों के बाद गड्ढों में पौधों को लगाकर अच्छे से पानी देना चाहिए।
कटहल के पौधे की रोपाई का उचित समय
कटहल को पौधे को वर्षा ऋतु के समय लगाया जाता है। इस पौधे को कलम के द्वारा गड्ढों में लगाया जाता है और 3 से 4 फीट कलम को मिट्टी के साथ ढक दिया जाता है। पौधों में नमी और कम सिंचाई के लिए बारिश का मौसम सही माना गया है। कटहल के पौधे को जून से जुलाई के महीने अर्थात वर्षा ऋतु के समय सही माना गया है इस मौसम में पौधे अपने विकास और वृद्धि जल्दी कर लेते हैं।
कटहल के पौधे की सिंचाई व्यवस्था
जब हम किसी प्रकार की फसल या पौधे की रोपाई करते हैं तो उसे समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है खासकर गर्मियों या शुष्क मौसम में। कटहल के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद एक बार इसकी सिंचाई कर देनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में 15 से 20 दिनों के अंदर समय-समय पर सिंचाई आवश्यक होती है। बरसात के मौसम में जरूरत होने पर ही सिंचाई करें अन्यथा नहीं।
कटहल के पौधों में खरपतवार
हालांकि कटहल के पौधे को खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन खेत को साफ रखने के लिए समय-समय पर प्राकृतिक विधि द्वारा या रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करके खरपतवार को नष्ट कर सकते हैं। जिससे आपका खेत बिल्कुल पूरी तरह से साफ सुथरा दिखाई दे।
कटहल के पौधे में लगने वाले रोग और कीट
जब हम किसी प्रकार की फसल या पौधे की रोपाई करते हैं तो उसमें किसी न किसी प्रकार की रोग लग जाता है उस रोग का समय-समय पर निराकरण करके फसल या पौधे को नष्ट होने से बचा सकते है और अपना नुकसान होने से बच सकते है।
कटहल के पौधे में लगने वाले रोग इस प्रकार है –
- फल सड़न रोग
- बग रोग
- गुलाबी धब्बा
कटहल के फल की पैदावार और लाभ.
कटहल के पौधे पौध रोपाई के लगभग 4 साल बाद पैदावार देने के लिए उपयुक्त रूप से तैयार हो जाते हैं। कई किस्में पैदावार देने में अधिक समय लगा सकती है। एक हेक्टेयर के खेत में डेढ़ सौ से 200 तक लगाए जा सकते हैं। इस फसल की बाजार में बिक्री भी अच्छी होती है और आप उत्पादन में प्रति करके अच्छी कमाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस पोस्ट में कटहल की खेती कैसे करें और किस से होने वाले लाभ कमाई और उत्पादन में वृद्धि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की है हमें उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको बहुत ही पसंद आई होगी। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उन्हें कटहल की खेती के बारे में जानकारी प्रदान करें और इससे होने वाली कमाई के बारे में बताए।
आपके लिए ऐसे ही मजेदार फसलों के बारे में जानकारी देने वाले हैं। नई नई फसलों और खेती-बाड़ीयो संबंधित जानकारी जानकारी देते रहेंगे।
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