जायफल की खेती कैसे करे?

आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे कि jayfal ki kheti kaise kare. आपके लिए यह पोस्ट बेहद ही खास होने वाली है आपको इस पोस्ट में जायफल की खेती के बारे में सभी जानकारियां मिलने वाली है। आप इस पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।

जायफल की खेती मसाला फसल के रूप में की जाती है जायफल एक मसाले का नाम है। जायफल का पौधा सदाबहार होता है। जायफल की खेती भारत के साथ और अन्य जेसीबी करते हैं जैसे इंडोनेशिया चीन ताइवान मलेशिया ग्रेनाडा दक्षिण अमेरिका श्रीलंका इंडोनेशिया आदि। इंडोनेशिया के मोलूकास द्वीप को जायफल की उत्पत्ति का स्थान कहा जाता है। जायफल के सुख के फलों का इस्तेमाल मसाले संबंधित तेल और औषधियों को बनाने के लिए किया जाता है।

जायफल सब्जी में डाला जाता है जिससे फल सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट और सुगंधित होती है जयपाल के पौधे को तैयार करना होने में 6 से 7 वर्ष का समय लगता है और जायफल का पौधा पूर्ण रूप से विकसित 15 से 20 फीट ऊंचा होता है। इसके कच्चे फलों का इस्तेमाल कैंडी अचार बनाने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में जायफल के कई प्रकार की किस्में को उगाया जा रहा है और उनसे अच्छी पैदावार प्राप्त की जा रही है। जिसमें फल और फूल गुच्छो में विकास करते हैं और इससे निकलने वाले फल नाशपाती के आकार के होते हैं।

jayfal ki kheti kaise kare.

  • जायफल की खेती करने के लिए सबसे पहले उचित भूमि का चुनाव कर लेना है ऐसी भूमि जहां पर जायफल की खेती आसानी से कीजा सके।
  • अब जायफल की खेती को करने को लेकर पूरी जानकारी हासिल कर लेनी है और योजना बना लेनी है।
  • अब जलवायु और भूमि को देते हुए बीज का चुनाव कर लेना है।
  • अब पौधे या बीज जो भी लगाने हैं उन्हें आपको लगा देना है। और समय-समय पर सिंचाई करनी है।
  • अब आवश्यक का समय-समय पर देना है ताकि पोषक तत्व पौधों को मिलते रहे।
  • अब अगर रोग और किट से संबंधित समस्या देखने को मिलती है तो इनका समाधान कर लेना है।
  • अब समय पर आपको एक अच्छी पैदावार हासिल मिल जाएगी।

जायफल की खेती के लिए उपजाऊ भूमि

जायफल की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है किंतु व्यापारिक रूप से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी या लाल लेटराइट मिट्टी का उपयोग किया जाता है मिट्टी का सामान्य पीएच मान वाली भूमि में जायफल खेती की जा सकती है। जायफल के पौधे को उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है तथा सर्दियों और गर्मियों के मौसम में जयपुर के पौधे अच्छे विकास करते हैं और विकसित होते हैं।

ज्यादा ठंड पौधे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है । जायफल के पौधे के लिए 20 से 22 डिग्री तापमान मैं अंकुरित होते हैं, पौधे के विकास के लिए 25 से 3 डिग्री तापमान होना आवश्यक होता है। जायफल के पौधे कम से कम 10 डिग्री ज्यादा से ज्यादा 37 डिग्री तापमान सेंड कर सकते हैं।

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जायफल की खेती करने के लिए उन्नत किस्में

जायफल की किस्म आई आई एस आर विश्व श्री

जायफल की हर किस्म भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्था कालीकट के माध्यम से तैयार की गई है। इसके उत्पादकता वर्ष समय लग जाता है। पेड़ पौधे से 1000 पदों की मात्र प्राप्त हो जाती है। इस पौधे से जायफल और जावित्री दोनों प्रकार के उत्पादन प्राप्त होता है। जिसमें जायफल 70% और जावित्री की मात्रा 30% होती है।

केरला श्री

यह किस में भारतीय अनुसंधान संस्था कालीकट के माध्यम से तैयार की गई है। इस किस्म को तमिलनाडु और केरल में उगाया जाता है। यह पौधा 6 वर्ष उत्पादन देना प्रारंभ करता है। और 4 साल बाद पौधों पर फूल आने लगते हैं। यह पौधा 25 साल पश्चात एक वृक्ष का रूप ले लेता है।

जायफल की खेती के लिए खेत की तैयारियां

जायफल के पौधा एक बार लगने के बाद कई सालों तक पैदावार देता रहता है। खेतों को गहराई से जुताई कर लेनी चाहिए। खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दे, ताकि खेत की मिट्टी में सूर्य की धूप ठीक तरह से लग जाए और मिट्टी में मौजूद हानिकारक तत्व खत्म हो जाए।
खेत में पानी छोड़ देना चाहिए और उसके बाद मिट्टी की ऊपरी परत सूखने के पश्चात उसे रोटावेटर से जुताई कर देनी चाहिए। खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता है और खेत को समतल बना दिया जाता है।
खेत में समान दूरी पर गड्डे बनाते है, और उन में पौधे लगाएं जाते है। पौधे की रोपाई से पहले गट्टू को को दिया जाता है।

जायफल की खेती में उर्वरक की मात्रा

जायफल के पौधों को लगाने के लिए गड्ढों में उचित मात्रा में उर्वरक देना होता है। पौधों का विकास तीर्थों से हो सके। गड्ढों को तय करते समय 10 से 12 किलो जैविक खाद से गड्ढों को भर दे। उर्वरक की मात्रा पौधों को 3 साल तक लगातार देनी पड़ती है। पौधे के विकास के साथ उर्वरक की मात्रा को बड़ा दिया जाता है।

जायफल के पौधों की रोपाई और समय

के पौधों की रोपाई बीज और कलम दोनों ही तरीके से की जाती है इसके लिए नर्सरी में पौधों की तैयारी की जाती है, कटोरे पौधे की रोपाई से पूर्व गोमूत्र या बविस्तीन मात्रा उपचारित कर लिया जाता है।
जायफल के पौधों की रोपाई के लिए बारिश के मौसम का सबसे उपयुक्त माना जाता है। जून से अगस्त के माह में पौधों की रोपाई कर सकते हैं। यह मौसम पौधों की रोपाई के लिए सबसे बेहतर है।

जायफल के पौधों की सिंचाई

के पौधों को शुरुआत में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। गरीबों के मौसम में जायफल के पौधों को 15 से 17 दिन के अंतराल में पानी देना होता है। बरसात के मौसम में जायफल के पौधों को पानी की जरूरत ना के बराबर होती है। जायफल के पौधों को एक साथ में 5 से 6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती हैं।

जायफल के खेती करने के लिए खरपतवार नियंत्रण

जायफल की फसल में उगने वाला खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए प्राकृतिक विधि का इस्तेमाल किया जा सकता है। पहले गुड़ाई पौधारोपण के 1 महीने पश्चात की जा सकती है। साल में सात से आठ बार बुराई की आवश्यकता होती है। जब खेतों में खरपतवार दिखाई दे तो आप हो निराई गुड़ाई कर सकते हैं।

जायफल की फसल का भाव और कमाई

जायफल का भाव ₹500 तक होता है विदेशों में कीमत दोगुना होती है। जायफल के पौधों को फल देने में 6 से 8 वर्ष का समय लग सकता है। इसके अतिरिक्त किसान चाहे तो किसी और का तार की फसल को भी तैयार कर सकता है और उससे अच्छा मुनाफा कमा सकता है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि हमने आपको इस पोस्ट में जायफल की खेती कैसे करें के बारे में जानकारी प्रदान की है हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी और आप जायफल की खेती के बारे में स्पष्ट और सही रूप से जान गए होंगे आशा करते हैं कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे।

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