रजनीगंधा की खेती कैसे करे?

rajaniganda ki kheti kaise kare: जनीगंधा की खेती फूलों को आस्था प्यार स्नेह का प्रतीक माना जाता है। फूल हमारे जीवन में सुख शांति और प्यार लेकर आता है, रजनीगंधा की खेती खुशबूदार और आकर्षक फूलो को प्राप्त करने के लिए की जाती है, रजनीगंधा के फूल सफेद रंग के होते हैं, जो अधीक तक ताजा रहते हैं, रजनीगंधा के फूल से गजरा बनता है, जिसे महिलाएं श्रंगार के लिए उपयोग करते है , रजनीगंधा के उपयोग से आयुर्वेदिक दवाइयां को बनाने में किया जाता है,इसके फूलो से खुशबूदार तेल भी निकलता है, जिस कारण से मार्केट में रजनीगंधा फूल की मांग सबसे अधिक रहती है, इसके तेल को इत्र और परफ्यूम बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है।

Rajaniganda ki kheti kaise kare

  • रजनीगंधा की खेती करने के लिए सबसे पहले रजनीगंधा की खेती करने से संबंधित संपूर्ण जानकारी को हासिल करें।
  • अब रजनीगंधा के लिए उपयुक्त मिट्टी का चुनाव करें।
  • अब जलवायु और तापमान के अनुसार रजनीगंधा की उन्नत किस्म का चयन करें।
  • रजनीगंधा खेती के लिए खेत की तैयारी करें।
  • अब रजनीगंधा के बीजों की रोपाई और समय पर सिंचाई करें।
  • अब आवश्यकता अनुसार खेत में खाद मिलाए।
  • अब खपतवार को हटाने के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करे।
  • अब सही समय पर रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई करें।
  • इस प्रकार आप बिना किसी समस्या के आसानी से रजनीगंधा की खेती कर सकेंगे।

रजनीगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

कच्ची माता की खेती करने के लिए किसी तरह की खास मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, रजनीगंधा की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। खेतों में जल भराव नहीं होना चाहिए।
अधिक उपजाऊ भूमि में अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं। रजनीगंधा की खेती हल्की अमली और सारी जमीन में कर सकते हैं, अश्वगंधा की खेती करने के लिए खेत का पीएच मान से पॉइंट 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए।

अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

रजनीगंधा का उत्पादन समशीतोष्ण जलवायु मैं अधिक मात्रा में क्या जाता है। रजनीगंधा के फूल और पौधे गर्म औरत और जलवायु में अच्छे से खिलते हैं, जिससे पैदावार भी अच्छी होती है। रजनीगंधा के फूलों को खिलने के लिए सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है।
रजनीगंधा के पौधे सामान्य तापमान पर अच्छी पैदावार देता है, इसके पौधे के लिए अधिकतम तापमान 35 और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री बहुत हैं।

रजनीगंधा की खेती करने की जरूरत है इसमें जै सा कि भारत में सभी तरह की फसलों का उत्पादन किया जाता है फसलों के अलग-अलग होती है ठीक उसी प्रकार रजनीगंधा की किस्में कई प्रकार की मौजूद है, कई ऐसे भी किस्में भी है जिनका संकरण के माध्यम से तैयार किया जाता है। इन किस्मों को एक हरी और दोहरी श्रेणी में बांटा गया है।

एकहरी श्रेणी की उन्नत किस्में

रजत रेखर -इस एकहरी श्रेणी वाली किस्म को एनबीआरआई और एमबीआर के माध्यम से तैयार किया गया है। इसके पौधों पर सिल्वर कलर के फूल निकलते हैं और सफेद रंग की धारियां और पत्तियां सुरमुई रंग की होती है।
श्रंगार -रजनीगंधा की यह संकर एकहरी किस्म हैं इस किस्म को एनबीआरआई बंगलौर द्वारा मक्सिवानु सिंगल और डबल का संकरण कर बनाया गया है। इस किस्म के फूलो का आकार बडा होता है, और कली हल्की गुलाबी रंग की होती है,
प्रज्जवल -इसमें को बेंगलुरु के एन बी आर आई द्वारा मेक्सिकन सिंगल का संकरण कर तैयार किया गया है। इस किस्म के फूलो का वजन सामान्य से अधिक होता है।

दोहरी श्रेणित वाली किस्म

स्वर्ण रेखा -यह किस्म दोहरी श्रेणी वाली किस्म है और इसे सजावट के लिए अधिक उपयोग के लिए लाया जाता है,इस किस्म को लखनऊ के NBRI की गामा किरणों द्वार तैयार किया जाता है , इस किस्म के किनारे पर पीली रेखाएं होती हैं।
सुवासिनी -रजनीगंधा की यह किस्म दूसरी दोहरी शिर्डी वाली किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है, इसे बेंगलुरु में एनबीआरआई द्वारा मैक्सिकन सिंगल और डबल संकरण से बनाया गया है।
वैभव -इस किस्म की पैदावार सुवासनी किस्म से अधिक पाई जाती है। इस किस्म के पौधे फूल सफेद रंग के होते हैं। हरे रंग की कली निकलती है।

रजनीगंधा की खेती के लिए खेत की तैयारी

रंजनीगंधा की खेती के लिए खेत को गहराई से जुताई कर दी जाती है। खेत में गोबर खाद डाल दी जाता है वह से मिट्टी के साथ मिलाया जाता है। गोबर मिली मिट्टी में पानी भर दिया जाता है। कुछ दिनों बाद जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता हैं। खेत को समतल कर दे जाता है।

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रजनीगंधा के बीजों की रोपाई और समय

रजनीगंधा की फसल की बुवाई के लिए बीज के रूप में की जाती है। राजनीगंधा के पौधों की रोपाई मैदानी भागों में फरवरी से मार्च के महीने के मध्य की जाती है। पर्वतीय इलाकों में पौधों की रोपाई मई से जून के माह के मध्य की जाती है।

रजनीगंधा के खेत उर्वरक

अश्वगंधा की खेती करने के लिए खेत में उर्वरक क्षमता अच्छी होनी चाहिए और औरत क्षमता बढ़ाने के लिए खेत में खाद गोबर डालना पड़ता है, इसमें कंपोस्ट खाद भी डाला जाता है, एमपी के 1:2:1 की मात्रा का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में आखरी जूता के समय करें। खेत में लगा बीज अंकुरित हो जाने के बाद प्रति हेक्टर के खेत में 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें, पौधे पर फूल खिलने के बाद पोटेशियम साइट्रेट, ऑर्थोफॉस्फोरिक, हम लोग और यूरिया को मिलाकर मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए जिससे पौधे पर फूल अधिक मात्रा में आते हैं।

रजनीगंधा की सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

रजनीगंधा के पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी देना होता है, इसकी सिंचाई बीज रोपे के तुरंत बाद की जाती है, पेज अंकुरण तक खेत में नमी बनाए रखें, पौधों का अंकुरित हो जाने के बाद सिंचाई ज्यादा नहीं करनी चाहिए।
रजनीगंधा की फसल मैं खरपतवार पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि अनावश्यक पौधे फसल को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, समय-समय पर निराई गुड़ाई करनी चाहिए, खरपतवार निराई गुड़ाई करते समय पौधों पर मिट्टी अवश्य चढ़ा दें, रजनीगंधा की फसल को केवल दो या तीन बार गुड़ाई की आवश्यकता होती है।

रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई

रजनीगंधा के फसल पर भेज रोपाई के 4 महीने पश्चात फुल आना शुरू कर देते हैं, फूलों के पूरी तरह खिलौने के बाद ही उनको तोड़े।

रजनीगंधा के फूलों की कीमत उत्पादन और लाभ

अश्वगंधा के फूल 1 हेक्टेयर खेत से 80 क्विंटल रजनीगंधा के फूलों का उत्पादन होता है। रजनीगंधा के फूलों का बाजारी भाव ₹20 प्रति किलो होता है। और बाजार में इसकी मांग अधिक है

निष्कर्ष

हमारे द्वारा दी गई जानकारी रजनीगंधा की खेती कैसे करें के बारे में आपको जानकारी मिल गई होती हमें आशा है कि यह जानकारी आपको बहुत पसंद आई होगी आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और उन्हें रजनीगंधा की खेती करने के बारे में बताएं।

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